मेरा लौटना

मेरा लौटना

हाँ मेरा लौटना
ही मेरी पीड़ा
मेरा मुझ तक लौटना
यही मरण है
मरण ही तो है
पुनः पुनः मरण
और जीवन
जीवन तो तब था
जब स्वयं की विस्मृति थी
वही क्षण
यही यथार्थ जीवन
जीवनानंद
हाँ वही तो क्षण जीवन था
जब दर्पण में स्वयम को निहार भी
तुम ही थे
वह नेत्रों की चमक
जिन्हें देख हृदय से एक ही पुकार उठी
प्रियतम प्रियतम प्रियतम....
मूंद गए नेत्र
प्रेमाश्रु छलकाते हुए
तुम्हारे नाम से पिघलता हुआ वह हृदय
परन्तु
पुनः मरण
पुनः पुनः मरण
दर्पण वही
नेत्र वही
पुकार वही
प्रियतम प्रियतम प्रियतम.....
परन्तु तुम नहीं
तुम नहीं
वही वही प्रलाप
वही रुदन
इस विरहणी का
हाँ सच ही तो है
मेरा मरण
क्षण क्षण का मरण
मेरा लौटना
परन्तु पुकारते रहना
प्रियतम..........

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