हा राधा हा स्वामिनि
हा राधा हा स्वामिनी कौन भाग्य सौं बनिहौ दासी
चरणन की रज पाऊँ किशोरी दीजौ बाँवरी चरण ख़्वासी
चरणन को भरि अंक निहारूँ पुनि-पुनि नेह सौं दुलराऊँ
चूम चूम हिय राखियौ अपनै दृग जल सौं अभिषेक कराऊँ
जावक रचना करूँ स्वामिनी कोमल तेरौ चरण सजाऊँ
मो निर्धन को बल कोऊ नाहिं कौन विध चरणन सेवा पाऊँ
टेरत टेरत रहूँ किशोरी आस लगाये नित नैन झराऊँ
हा स्वामिनी हा हा किशोरी किस विध हिय की तपन हटाऊँ
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