मेरी दुनिया ही तुमसे है

मेरी दुनिया ही तुमसे है मुझे मुझसे चुरा लो तुम
न जा पाऊँ कभी मुड़कर मुझे ऐसे सम्भालो तुम

तेरा ही इश्क़ हो मुझमे मुझे मेरी ख़बर न हो
जो बीते पल बिना तेरे ऐसी कोई सहर न हो
तुम्हारी हूँ यह भूली थी बस अब अपनी बना लो तुम
मेरी दुनिया......

रहे दिल मे यही हसरत की तुमसे इश्क़ कर पाऊँ
नहीं आता हुनर कोई मैं कैसे तुमपे मर पाऊँ
सीखना है मुझे तुमसे इश्क़ क्या है सिखा लो तुम
मेरी दुनिया.......

रहे तो बस खबर इतनी कि यह धड़कन तुम्हारी है
मुझे बेख़ुद बनाती है जो तेरी ही बेकरारी है
गवारा न है इस दिल को अब सब पर्दे हटा लो तुम
मेरी दुनिया.......

माना है इश्क़ मेरा झूठा जो सच्चा है तुम्हारा है
नहीं सम्भला है कुछ मुझसे सदा मैंने बिगड़ा है
निभा पाऊँगी भला कैसे इश्क़ अपना निभा लो तुम
मेरी दुनिया ही तुमसे है मुझे मुझसे चुरा लो तुम
न जा पाऊँ कभी मुड़कर मुझे ऐसे सम्भालो तुम

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून