काश बेकरार दिल को
काश इस बेकरार दिल को करार आ जाए
तेरे इश्क़ का थोड़ा खुमार आ जाए
बेखुदी में भूल ही जाएं हम वजूद अपना
इस दिल पर तेरा ही इख्तियार आ जाए
काश इस ......
गुलों का हँसना देखें महकते तेरे लिए
इस उजड़े चमन में भी बहार आ जाए
काश इस .......
न आ पाएँगे महफ़िल तक तेरी अपने दम से
जिस्म को चीर कर रूह उस पार आ जाए
काश इस ......
लबों से तेरे ही गीत गुनगुनाएं हम अब
बुझी सी महफ़िल में रोशनी दिन चार आ जाए
काश इस .......
अपने हाथों से सजाएँ हम इश्क़ तेरा
इल्म सीखें करना तेरा सिंगार आ जाए
काश इस .......
तेरी चौखट पर पड़े ही रहेंगे ताउम्र अब हम
उठा नहीं कभी जो पास तेरे इक बार आ जाए
काश इस.......
चलो बेकरार ही छोड़ो अभी सुलगने दो
जल जल कर रूह में थोड़ा निखार आ जाए
काश इस बेकरार दिल को थोड़ा करार आ जाए
तेरे इश्क़ का थोड़ा खुमार आ जाए
Comments
Post a Comment