निताई गौर हित हरिदास
निताई गौर हित हरिदास नाम, सब युगल प्रेम की कूँजी।
जपत जपत नित रटत रटत नित ,प्रगटै प्रेम कौ पूँजी।।
नाम रूप लीला अभिन्न सब , एकौ सार होय प्रेम।
युगल नाम कौ रटन बनै , क्षण क्षण कौ यह नेम।।
बाँवरी कबहुँ हिय विकल होवै पाथर ,जिव्हा सौं करै गान।
लोभ वासना मद मत्सर छूटै, कबहुँ तजै देह अभिमान।।
सन्तन रसिकन कौ चरण धूरि, लै बाँवरी राखै नित्य ललाम।
बाँवरी ठौर युगल चरणन माँहिं ,जिव्हा सौं उच्चरै नाम।।
Comments
Post a Comment