कौन सौं नेत्र

कौन सों नेत्र करूँ दर्शन स्वामिनी मैं पतित अगाध
नाम को बल देहो स्वामिनी हरो भव की बाध
हरो भव की बाध हिय नाम रस ऐसो उमगावै
सब कछु देय भुलाय बाँवरी नाम राधा को गावै
राधा नाम ही मूल प्रेम को राधा प्रेम प्रदायिनी
कृपा करो चरण रज दीजौ दासी बनूँ तुम स्वामिनी

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