बिकना
खूब समझ रखते हैं हम
जी हाँ
हर बात में
भेद ढूंढना
गुण दोष का आँकलन
बड़े अच्छे से किया करते हैं
हमारी समझ के दायरे
बड़े बड़े जी
बहुत बड़े
आए न हम तुम्हारे पास
पता लगा
अरे यह तो पारस है
जितना लोहा छुआ दो
सोना करता है
अरे कोटिवांछाकल्पतरु
यह कोई निधि है
सुन लिए
फिर आ गए जी
रिद्धि सिद्धि निधि सब माँगने
हमारी इच्छाएँ कोई छोटी थोड़ा न हैं जी
हम बड़ा बड़ा दिमाग रहते
बड़ी बड़ी चाह रखते
और चाह पूरी करने वाला भी मिल गया
आहा!
बड़ा किये थोड़ा और थोड़ा और
अपनी इच्छाओं को
अपनी लालसाओं को
अपनी वासनाओं को
की बढ़ती ही गयी
दब ही गए इस बोझ को लादते हुए
कुचल ही दिए पर
पर नहीं नहीं
हम बड़े समझ वाले जी
हम तो अमीर हुए जी
और और और लोभ से
फिर इक क्षण हृदय ठहरा
देख दीवाने की मस्ती
फकीर की फ़कीरी
जिसका तन भी चीथड़ों से ढका
बेहाल
सूखा सा चेहरा
जैसे खाने पीने की भी सुधि न हो
परन्तु आंखों में कोई नूर
फिर भी मस्त
क्या निधि होगी उसके पास
क्या है उसके झोले में
जिसे पाकर वह झूम रहा
जैसे सब ही पा चुका
अरे अरे
सोचेंगे ही न हम
बड़े बड़े दिमाग से
की इतना पाकर भी जो प्यास न बुझ रही
भोग भोग भोग ही जीवन
नहीं नहीं जी
हम तो पारस से लोहे को सोना कर रहे
खरीद रहे सब कुछ
जो हमारे प्राणों को सुख दे
परन्तु एक क्षण को रुक
बड़े दिमाग ने सोचा
अरे सोचना ही तो था न
हर चीज में लाभ अपना
तो यहां भी कैसे छूटता
की इसने क्या खरीद लिया
जो यह मस्त हो गया
दीवाना हो झूम रहा है
हमारी आंखों का मोटा चश्मा
देखने पर मजबूर
जब पूरा दिमाग लगा लिए न हम
बड़ा बड़ा दिमाग
तो हैरान रह गए
जीवन का असली रहस्य जान
की वास्तविक आनँद
वास्तविक खुशी खरीदने से नहीं मिलती
वह मस्ती तो मिलती है
बिक जाने में
जो बिक चुका है
वह मिल चुका उस अनन्त से
पारस से छू
पारस ही हो गया
हम यहाँ सोना बटोरते रह गए
जो बिक गया
स्वयम ही पारस हो गया
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