श्रीराधा वन्दना

*श्रीराधिका वन्दन*

🌸 प्रेम स्वरूपिणी श्री आह्लादिनी शक्ति जो सत रज तम तीनो गुणों से ऊपर है, अर्थात जो मूल में त्रिगुणातीत  शक्ति है , जो परम माधुर्य की अधीश्वरी हैं, ऐसी श्रीराधिका की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸जिनका रँग कँचन वर्ण अर्थात सोने जैसा है तथा जो त्रिभुवन को मोहने वाले रूप, सौंदर्य, माधुर्य, कारुण्य,कोमलत्व, लावण्य की अधीश्वरी है तथा ब्रज की स्वामिनी हैं,ऐसी श्रीराधिका की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸जो जगदीश्वर की भी स्वामिनी हैं अर्थात श्रीकृष्ण भी जिनको अपनी स्वामिनी मानते हैं तथा उनके चरणों मे अपना शीश झुकाते हैं, ऐसी गौर वर्णा किशोरी जो नित्य निकुञ्ज की स्वामिनी है ऐसी श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸श्रीहरि के हृदय का सम्पूर्ण आह्लाद जो कँचन वर्णी रूप में मूर्तिमान है , जिससे श्रीकृष्ण सदैव अभिन्न हैं तथा जो नित्य रास की रासेश्वरी हैं ऐसी श्रीराधिका की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸श्रीकृष्ण के जो आत्म स्वरूपः का आह्लाद हैं जिनकी ज्योत्स्ना क्षण क्षण नव नवायमान होती रहती है।जिनके चरणों की उपमा देने को कमल लजा जाते हैं  ऐसी कमलेश्वरी श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸श्रीनित्य निकुञ्ज की स्वामिनी जो प्रियतम श्रीकृष्ण के हृदय की समस्त सुख राशि है अर्थात श्रीकृष्ण के समस्त सुखों का विस्तार करने वाली हैं तथा मधुर सुरों(मधुर्य झंकारों) की ईश्वरी है ऐसी श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸महाभाविनी श्रीनवल किशोरी जिनके हृदय में अपने प्रियतम श्रीकृष्ण को क्षण क्षण सुख पहुंचाने की इच्छा नव नवायमान होती रहती है, परन्तु स्वयम में वह अपने प्रियतम को सुख देने का अभाव पाती हैं , ऐसी श्रीराधिका की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸श्रीनित्यनिकुंजेश्वरी राधा जिन्होंने अपने प्रियतम को अपने प्रेम से ऐसे बाँध रखा है कि कोटिन कोटि ब्रह्मण्ड नायक अपने सम्पूर्ण ऐश्वर्य का त्याग कर माधुर्यसार हो गए हैं, ऐसी श्रीराधिका की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸श्रीनित्यनिकुंज का कण कण जिनके प्रेम का मूर्तिमान रूप होकर श्रीकृष्ण के माधुर्य का विस्तार कर रहा है, जो श्रीकृष्ण को अपने प्राणों से भी अत्यंत प्रिय हैं , ऐसी स्वामिनी श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸श्रीकृष्ण से भिन्न जिनका कोई अस्तित्व शेष ही नहीं है।जिनके हृदय का आह्लाद कोटिन कोटि रूप धारण कर श्रीकृष्ण के सुख का विलास कर रहा है , ऐसी माधुर्य मूर्ति श्रीराधिका की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸जिनके नूपुरों का रव रव से कोटिन कोटि वेद मंत्रों का उद्गम है, जिसकी मधुर झन्कार श्रीकृष्ण के विरहाकुल हृदय की प्राण संजीवनी है, ऐसी श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸जिनके नेत्रों की भाव भंगिमा पर प्रियतम श्रीकृष्ण सदा मुग्ध रहते हैं, इनके नेत्रों से प्रेम रस सुधा का ऐसा वर्षण होता है जिससे श्रीकृष्ण अपने व्याकुल प्राणों की रक्षा कर पाते हैं, उन जगदीश्वर को भी मधुरता प्रदान करने वाली श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸 जो प्रत्येक विद्या, प्रत्येक कला कौशल की स्वामिनी है, अर्थात जो सभी कलाओं तथा विद्याओं का मूल होकर प्रत्येक रीति से अपने प्रियतम के सुखवर्धन को आतुर हैं, ऐसी श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸जो परम उदारता की मूर्ति हैं तथा अपने आश्रित अनाश्रित सभी जीवों का स्वयम पोषण करती हैं , जिनका नाम ही इतना पतितपावन है कि स्वयम जगदीश्वर श्रीकृष्ण इस नाम का सतत जप करते रहते है, उन श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸जो त्याग ,सेवा, प्रेम, समर्पण का मूर्तिमान स्वरूपः हैं तथा जिनकी प्रत्येक क्रिया श्रीकृष्णमई है, जिनका आहार, विहार, वस्त्र श्रृंगार सब श्रीकृष्ण हैं ऐसी श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸कोटि ब्रह्मांड नायक श्रीकृष्ण भी जिन्हें स्वामिनी मानते हैं, जिनका नाम वेद पुराण ऋचाओं में प्रकट होकर भी अप्रकट है ,ऐसी त्रिभुवन स्वामिनी श्रीराधा की मैं वन्दना करती हूँ।

🌸जिनके गुणों का वर्णन करने में कोटिन कोटि जिव्हा तथा समस्त ब्रह्मांड के अक्षर भी कम पड़ जाते हैं, परन्तु श्रीस्वामिनी के गुणानुवाद का लोभ उनकी दासियों यहां तक की स्वयम श्रीकृष्ण को विचलित रखता है ऐसी श्रीराधा की मैं कोटिन कोटि वन्दना करती हूँ तथा उनके चरणों मे प्रार्थना करती हूँ कि श्रीस्वामिनी अपने आश्रितों के हृदय के इस लोभ का नित्य वर्धन करती रहें।

जय जय श्रीराधे!

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