रँग रँगीली श्यामा भामिनी

रँग रँगीली श्यामा भामिनी रँगी पिय के रँग
लाली माँहिं लाल होय रही उठत रस तरँग
कौन होय लाल कौन होय लाली भेद रह्यौ न कोय
बाँवरो होय एकै रँग झूमत पिय प्यारी दोय
रँग नेह को ऐसौ गाढ़ौ छिन छिन बढतौ जाय
कौन लाल कौन होय ललना भेद न कोऊ पाय
लाली रँगीं पिय हिय रँग छिनहु न सम्भारौ जाय
कुञ्जन माहिं नित नव होरी नित नवल नागरी भाय
हिय हुलास पिय प्यारी ऐसौ उमगि-उमगि हर्षावैं
देत असीस सखी सहचरी नित नवल जोरि हिय चाह्वै

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