हमरौ कौन देस की होरी
हमरौ कौन देस की होरी।
धृग धृग जीवन तेरौ बाँवरी नैन न निरखै रँगीली जोरी।
जो होतौ नेह कोऊ साँचो हिय तेरौ युगल नाम उमगातौ।
हिय का ताप बुझे न बुझतौ नैनन नीर न कबहुँ स्मातौ।
बाँवरी अधम पामर अति खोटी मूक ह्वै कबहुँ जगत अभिलासा।
छाँड़ि देय मूढ़े भोग विषयन कौ कबहुँ जगै युगल की आसा।
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