हा हा किशोरी

हा हा किशोरी स्वामिनी मैँ हौं अवगुण की खान
नाम भजन को बल कोऊ नाहिं सेवा को न भान
कोऊ जप तप बल न होय न कोऊ बुद्धि न ज्ञान
भजन रीत सौं कोसों दूर बाँवरी करूँ विषय रस पान
कौन विधि मुख दिखाऊँ किशोरी हिय भरयौ मद अभिमान
चरणन की रज कीजौ स्वामिनी निर्धन को अपनो जान

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