हरि जी मैं पतितन सिरमौर

हरि जी मैं पतितन सिरमौर
पतितपावन होय नाम तिहारौ,और कहाँ मेरी ठौर

नाम तिहारो सार प्रेम को
जानूँ न कोई विधि नाम को
नाम भजन की भिक्षा दीजौ सुन लो मेरी निहोर
हरि जी मैं पतितन सिरमौर

आपहुँ हाथ देय मोहे निकारो
नाम भजन देय बिगरी सँवारो
कबहुँ हिय नामरस उमगावै साँझ ढले और भोर
हरि जी मैं पतितन सिरमौर

तुम करुणामयी नाम को दाता
तुम सौं कौन होय प्रेम प्रदाता
कीजौ कृपा अधमन पर नाथा गौर गौर हरि गौर
हरि जी मैं पतितन सिरमौर

तुम बिन आस न कोऊ नाथा
मो पतित को कीजौ सनाथा
गौर गौर जिव्हा कबहुँ उच्चरै हिय होवै भाव विभोर
हरि जी मैं पतितन सिरमौर
पतितपावन होय नाम तिहारौ,और कहाँ मेरी ठौर

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