मैं जान्यो सब सार

हरिहौं मैं जान्यो सब सार
नाम भजन ही धन होय साँचो शेष सकल ब्यौहार
जान जान सब बुद्धि लगाई तबहुँ न हरिनाम कमाई
जगति कौ धन हिय समावै रही निशिबासर बौराई
जानत जानत कछु न समझी बाँवरी करै बुद्धि कौ ब्यौपार
हरिनाम न हिय चटपटी लागै बिरथा होय सकल पसार

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