भजन की बात

हरिहौं कबहुँ बनै भजन की बात
हिय कबहुँ लागै भजन चटपटी क्षनहुँ न सकुचात
कर की साँची शोभा सुमिरनी बिन पकरै बनै न बात
लोक दिखावा करै बाँवरी रहै बिरथा समै गमात
साँची पीर देयो हिय नाथा पुनि जग वीथिन दौरे जात
मेरो कोऊ बल न हरिहौं आपहुँ पकरौ मोय बलात

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