तुम न दीजौ छोरी
हरिहौं तुम न दीजौ छोरि
पकरौ नाथा मूढ़ पतित बाँवरी जावै जगति दौरि
भोग जगति कौ मीठो लागै नाम भजन लगै खारी
बुद्धिहीन मतिहीन मूढ़ा बाँवरी तबहुँ रहै जन्म बिगारी
आपहुँ पकरौ नाम की डोरी कस कस राखो नाथा
निशिदिन चपत लगावो हरिहौं न फोरै जगति माथा
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