अधम दुरि राखो

हरिहौं अधम  राखो दुरि करि

भजनहीना सुभाव बाँवरी जग वीथिन दौरि

भजन चटपटी हिय न कछु होय जगति बौरि

काहे राखी मटुकी देहि की हरिहौं देयो फोरि

कबहुँ नामरस हिय न उमगै पिय घूँट भरि घूँट

फोरत माथा आपहुँ बाँवरी रह्यौ ठूँट कौ ठूँट

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