जन तेरौ
हरिहौं मैं जन तेरौ नाथा
भूली रह्यौ तोहे जन्म जन्म सौं जगति फोरै माथा
अबहुँ लजावत साँचो हरिहौं देख हिय कल्मष सारे
कौन जगह तुम्हैं पधराऊं नाथा हिय भरै विषय रस भारे
हरिनाम सौं होय सफाई नाम कौ साबुन मल मल धोऊँ
हा हा नाथा निर्धन जन्म सौं कबहुँ नाम धनी मैं होऊँ
Comments
Post a Comment