सुन लीजो अरजा

हरिहौं सुन लीजौ मोरी अरजा
काहे जगति दौरे बाँवरी राखै तुमसौं साँची गरजा
तुम ही साँची ठौर हमारी जन्म जन्म बिसराई
अबहुँ बिलपत रहै बाँवरी नाथा कौन भाँति होय छुड़ाई
जगति कौ भोग राग बड़ो गहरै मेरो बल कोऊ नाय
आपहुँ करौ निज जन सम्भराई न और द्वारे जाय

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