विष्ठा कौ कीट
हरिहौं होऊँ विष्ठा कौ कीट
जन्म जन्म सौं विष्ठा ही पाई रह्यौ ढीठ कौ ढीट
कबहुँ लालसा जावै हिय सौं भोग विषय लगै खारै
कबहुँ बाँवरी बिलपत नाथा बस गौरा गौर पुकारै
अबहुँ लगै जगति बड़ो मीठी कबहुँ भजन लगै नीको
अबहुँ बाँवरी विषय रस छांड री कबहुँ लगै सब फीको
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