ऐसी दशा

हरिहौं ऐसी दशा हमारी
लिख लिख कागद कारौ भयौ मन पहले कारौ भारी
बाँवरी मूक ही रह्यौ अबहुँ इतनो ही बुद्धि बिचारी
बहुत कियो ढोंग आडम्बर बाँवरी भई घोर अहंकारी
नाम भजन सौं दूर रहै मूढ़े रहि जन्मन मति मारी

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