हम विष्ठा कौ कीट

हरिहौं हम विष्ठा कौ कीट
विषय वासना दिन दिन बाढ़ै रह्यौ ढीठ कौ ढीट
स्वांग कियो भक्तन कौ भारी माथे तिलक सजाय
हिय भर राखी विष्ठा सगरी बाँवरी कूकरी विष्ठा पाय
साँचो नाम न लीन्हीं नाथा कबहुँ मति सुधार होय
नाम की नाव बैठावो नाथा तबहुँ भवसागर सौं पार होय

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