स्वासा कौ माला

हरिहौं स्वासा कौ माला कीजौ
ऐसी सुमिरिनि चाह्वै बाँवरी अरजा मेरी सुन लीजौ
ऐसी सुमिरिनि देयो नाथा स्वासा स्वास नाम भरावै
देखे न कोऊ ऐसो रखाऊँ हिय नाम रस चाह्वै
उर अंतर फेरूं रहूँ छिपाये ऐसी सुमिरिनि दीजौ
तुम हो साँचो देवन वारे नाथा अबहुँ देर न कीजौ

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