पतिता पड़ी द्वारे

हरिहौं पतिता पड़ी द्वारै
झूठी साँची बनत रहै जैसे बाँवरी सोई पुकार पुकारै
बलहीन बुद्धिहीन होऊँ नाथा रही साँचो नाथ बिसराई
हा हा नाथा माया अबहुँ पकरै आपहुँ करौ छुड़ाई
जन्म जन्म सौं पकरि माया रही तुमसौं बिमुख बथेरी
अबहुँ तोरौ माया बन्ध हरिहौं बाँवरी जैसो कैसो तेरी

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