तुम साँचो बलवान
हरिहौं तुम साँचो बलवान
भोग विष्ठा मद मत्सर घेरी हरिहौं बाँवरी बनै नादान
अपनो बल काहे न लगाय कछु मेरौ करौ सुधार
भोग विषय मेरौ दिन दिन बाढ़ै मद मत्सर अपार
पतितपावन तुम नाम धरायो होवो साँचो बलवान
पतित बाँवरी कौ करौ निबेरो नाथा आपहुँ करौ निदान
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