कौन कहे पतितपावन
हरिहौं कौन कहै पतितपावन
जौ पतितन कौ पावन न कीन्हें कैसो नाम सुहावन
तुम भक्तवत्सल मैं भक्त न हरिहौं तुम अधमन तारन
तुम दाता दीनानाथ प्रभु हमहुँ जन्म जन्म भिखारन
पाथर हिय कबहुँ प्रेम फूटै कबहुँ प्रेम बेलि उमगावै
तुम्हीं करन करावन नाथा पतितपावन नाम सुहावै
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