आली री

आली री ! कौन कौ कहूँ जिय की
बाँवरी बिरहन तडपै निशिबासर पीर न मिटे हिय की

खावन पीवन की सुधि भूली असन बसन बिसराई
नयनन झरत रहें निशिबासर जब सौं नेहा लगाई
पिय पिय एकै रटन लगाई पीर बढ़े क्षण क्षण जिय की
आली री ! कौन सौं कहूँ ......

सँग न कछु सुहावै आली पिय की बाट रही हेरुं
पिय पिय स्वासा स्वास पुकारूँ पिय की माला फेरूं
जोग लगाय बैठी बाँवरी जोगनिया अपने पिय की
आली री ! कौन कौ कहूँ..... 

रैन दिवस बिरह रहै बाढ़ै नयनन बरखा बरसै
कौन सौं देस गए पिय मेरे देखन नैनन तरसै
नयनन झरै बरखा भारी अग्न मिटै न हिय की
आली री ! कौन कौ कहूँ जिय की
बाँवरी बिरहन तडपै निशिबासर पीर न मिटे हिय की

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