काजर की कोठरी

हरिहौं हम काजर की कोठरी
काली कालस देह सगरी कालस सब हिय भरी
कालस सौं हिय कारौ भयो चोरी कर भरे झोरी
अपनो कछु नाँहिं पाई नाथा बाँवरी जगति दौरी
अंतर बाहर कालस कालस कबहुँ नाम सौं छूटे
बाँवरी भरी वासना गगरी कबहुँ नाथा फूटै

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