बिरथा रसना

हरिहौं बिरथा रसना रखाई
जो रसना हरिनाम न गावै कबहुँ न गावै हरि बड़ाई
काहे राखी रसना मूढ़े बिरथा जगति यश गावै
बढ़ बढ़ गावै पर दोषा हरिनाम न कबहुँ सुहावै
हरिहौं कस कस चपत लगावो  बाँवरी हरिनाम सौं भागै
कौन विध नाम चटपटी उपजै हिय भरै नाम रस रागै

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