निर्मल मन न राखी

हरिहौं निर्मल मन न राखी
भजनभाव न रुचै बाँवरी विष्ठा निशिदिन चाखी
कबहुँ सपनेहुँ जागत हिय नाम भजन न सुहावै
कौन भाँति होय भोग छुटकारे बाँवरी सोवत समय गमावै
सौवन जागन खावत पीवत मौज करै बाँवरी निशिबासर
हा हा हरिहौं आपहुँ सुधार करौ कोऊ बल न होय मोपर

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