लम्पट गंवार

हरिहौं होऊँ लम्पट ग्वार
साँचो धन तुम होवो नाथा बाँवरी दई बिसार
जन्म जन्म कौ भूली नाथा मेरो अपनो द्वार
जगति द्वार गयी बहुतेरे मिल्यो न कोऊ सुखसार
राखो अपनी चौखट नाथा कूकर बनूँ करूँ रखवार
नाम तिहारा लेय लेय जियूँ राखो मोहै पट द्वार

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