मनमोहन मनमोहिनी
*मनमोहन मनमोहिनी*
मनमोहन मनमोहिनी मनमोहन मनमोहिनी........... हाँ री सखी जेई मधुर मधुर नाम को गान ही तो सखियन अलियन को जीवन होय री। जेई कोऊ मन्त्र नाय री जेई सम्पूर्ण जीवन ही होय। मनमोहन कौन हमारी प्यारी जु के मनमोहन, मनमोहनी कौन मनमोहन की मनमोहनी । नाय री जेई मनमोहन की मधुरता जेई मनमोहिनी ते ही होय। जेई मनमोहिनी ईतो मनमोहिनी होय की श्यामसुन्दर अपनो सकल ऐश्वर्य छोड़ याकी चरण रज को हिय धारण करे री। कोऊ मुख ते राधा मन सुन लेय बांवरो होय वाके पाछै चले री। बिक जावे री वाकी प्यारी के नाम सुनते ही। सम्पूर्ण ब्रह्मांड में ऐसो प्रेम देख्यो कहीं री।
कहीं न मिलेगो ऐसो प्रेम री ,जैसो हमारे प्राण प्यारे मनमोहन मनमोहिनी को होय री। जेई मनमोहिनी अपनो सम्पूर्ण माधुर्य ते जेइ को मन मोहित करी राखयौ री। अपने बाहर भीतर जेइ को भरी रह्वै। वस्त्र आभूषण सम्पूर्ण श्रृंगार ही मनमोहन होय री। जेई कम बाँवरी नाय री। कोऊ सुधि न राखै जेइ प्रेम उन्मादिनी। सखियाँ मंजरियाँ याको प्राण मोहन के नाम सुनाय सुनाय चेताय री। दोऊ बौराय , दोऊ रसमत फिरै री। परस्पर को प्रेम, परस्पर को सुख, परस्पर को श्रृंगार, परस्पर को नाम गायन करै री। इतौ बाँवरे दोऊ जन एक दूसरे को चेताय चेताय अपनो अस्तित्व ही भूल जावै री। कोऊ मोहन कोऊ मोहिनी। दोऊ की दशा विचित्र भयो री, ऐसो निरखें परस्पर की प्रथम बार ही निरख्यो, ऐसो मनमोहन , ऐसो मनमोहिनी आह!!ऐसो तो पहले न निरखी हौं री। जेइ मनमोहन नव नव मनमोहन होई जावै, जेई मनमोहिनी नव नव मनमोहिनी होय जावै री।
सखियन अलियन को होय सुख याको नव नव मिलन होय री। गान में भी एको नाम नाय पुकारे री। दोऊ का नाम गायन , दोऊ का सुख , जेई अलियन को निधि होय री। जेई हेत नव नव लीला रचै री अलियन। जेई नाम पुकार पुकार बाँवरी होय जा रही मनमोहन मनमोहिनी मनमोहन मनमोहिनी..........
सखियन अलियन तो जेई गान में रसमत होय जाय री , अब कोऊ मनमोहन रहै कोऊ मनमोहिनी दोऊ एक मेक होय जाय री। अलियन को गान याके हिय को और और उन्माद ते भरे री।सम्पूर्ण जीवन ही जेई मधुर मधुर नाम को गान होय जावै री। चल री सखी तू भी मो सँग गाय ले हमारे प्राणप्रिय हमारे प्रियाप्रियतम को मधुर मधुर नाम को गान। मनमोहन मनमोहिनी मनमोहन मनमोहिनी.........
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