क्यों है सुकून

क्यों है सुकून रूह को दो थोड़ी सी बेकरारी
हम भी देख लें ज़रा थोड़ी इश्क़ की खुमारी

गर दिल मे इश्क़ होता तो यूँ न सुकून होता
तेरे दीदार का ही साहिब मुझको जुनून होता
तुम ही बस दवा होते गर होती इश्क़ की बीमारी
क्यों है सुकून.......

मैंने सुना है साहिब बड़ी महंगी यह दिल्लगी है
बुझती नहीं है प्यास जो इक बार रूह में जगी है
रहे खड़े हम किनारे डूबी किश्ती बस हमारी
क्यों है सुकून.......

बर्बादियों के जश्न का कुछ शौक़ है पुराना
दिल के ज़ख्म गहरे क्या किसको अब बताना
अब न सुधरने पायेगी जो हालत बनी हमारी
क्यों है सुकून रूह को दो थोड़ी सी बेकरारी
हम भी देख लें ज़रा थोड़ी इश्क़ की खुमारी

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