तू ही बता दे
तू ही बता दे कैसे होगी गुज़र हमारी
जिंदगी हो चुकी है लंबी सहर हमारी
अश्क़ हैं और आहें यही सब पास अपने
बढ़ती ही जाती दौलत यह किस कदर हमारी
तू ही बता.....
अब न सम्भालो हमको ऐसा टूटा है दिल
यूँ टूट कर जिंदगी गई है बिखर हमारी
तू ही बता.......
नहीं जानते हम कहाँ है मंजिल अपनी
नहीं जानते हैं राहें सब जाएं किधर हमारी
तू ही बता......
अब तो तनहाइयाँ ही हो चुकी साथी ऐसे
अश्कों के समंदर से गयी आंखें भर हमारी
तू ही बता.......
अब लफ़्ज़ों में ही बहता है दर्द इस दिल का
राह देख थक गई साहिब नज़र हमारी
तू ही बता दे कैसे होगी गुज़र हमारी
जिंदगी हो चुकी है लंबी सहर हमारी
Comments
Post a Comment