भक्त नाम की महिमा

भक्तनाम की महिमा भक्ति कौ होय सार
भक्तनाम सुनि हरि हिय उपजै सुखराशि अपार
भक्तन कौ नित्य गान भक्ति नित्य हिय उपजावै
छूटे क्लेश कल्मष हिय के अहंकार दूर नसावै
बाँवरी नित जिव्हा राख अपनी हरिभक्तन कौ गान
नाम सेवा कौ रुचि उपजावै देय प्रेमभक्ति को दान

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून