हमरो कछु अभिमान
हमरौ कछु अभिमान न छुट्यो न विषय भोग कौ त्याग
बाँवरी मूढा जन्म जन्म की हिय कौन भाँति उपजै वैराग
कौन भाँति उपजै वैराग बाँवरी षडरस लागे नीको
भजन हीन फिरै जग माँहिं लगै स्वाद भजन कौ फीको
जबहुँ स्वाद भजन कौ फीको कौन भाँति हिय प्रेम उमगाय
नाम विहीना षडरस लोभी बाँवरी कैसो प्रेम रँग रँगाय
Comments
Post a Comment