राजत पिय प्यारी अहो फूल बंगलै में 1
*राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में*
फूलन माँहिं फूल , कौन सखी ?फूलन माँहिं फूल अति सुकोमल, अति सुगन्धित, अतिशय निर्मल। याकी मधुर मधुर स्थिति तो शब्दों से भी परे होवै न री सखी, पर मोपै ऐसे शब्द कहाँ जो इन मधुर मधुर युगल को देय सकूँ री। मेरे नेत्र तो फूलन सा ही निहारें री, जब दोनों फूल सुशोभित होय जावें फूल बंगले में। सखी री , फूल फूलनि कौ मधुर मधुर श्रृंगार , फूलन सौं।जेई फूल फूलनि को कौन छू सकै है री। साँची कहूँ मोय छुवन ते भी डर लागै री। इन फूलन फूलनि को फूल होय ही छुआ जा सकै री, फूल होय ही निहारा जा सकै। ऐसी मधुरता कोमलता मोपै कहाँ होय री सखी। बस दूर ते देख देख नयन भर आवै री। याको श्रृंगार ही नाय निहार पाऊँ री।पर साँची कहूँ याको निहारण का लोभ भी नाय जावै। जेई फूल फूलनि को छोड़ और कछु भावै ही न निहारन कौ।निहारते निहारते दो साँचे झूठे अश्रु बहाय दूँ री। लागै मेरी ही नज़र बुरी होय या फूलन फूलनि को नाय छू जावै री। जेइ इतो कोमल इतो मधुर होय री, मोरी निहारन ते जेई कोमल फूल को कछु होय न जावै री।
याको नाम इतो मधुर होय री श्यामा श्याम श्यामा श्याम श्यामा श्याम.........गाती रहूँ री जेई फूल फूलनि कौ नाम। कोऊ राग रागिनी की मो बाँवरी को कछु समझ न होवै री, इतो जानू जेई फूल फूलनि एक दूसरे के मधुर मधुर नाम सुनें तो और और फूलें री। कभी प्यारी श्यामा जु की रसीली , मधुर मधुर नामावली गाय दूँ री तो श्याम फूल ऐसो फूले ऐसो सरसावै आहा!!मेरी प्यारी जु के मधुर मधुर नाम। वाकी सुगन्ध में ही खोय जावै री। श्याम फूल ते सम्भलते न बनै री, जेइ में ऐसो ऐसो रस सरसावै री फूलनि के नाम सुन सुन री।
जेई फूलनि की भी क्या कहूँ सखी री। जेई कौ फूलनि कहने की भी सामर्थ्य न राखूं री। जेई कमलिनी, सुगंधिनी,माधुरी कौन सौं नाम से पुकारूँ री तोय, श्यामा श्यामा श्यामा ........लागै फूलनि को मधुर मधुर रस भर गयो री, मधुर मधुर् सुगन्ध भर गयो री, पुकार पुकार मैं ही फूली जाऊँ री सखि।जेई को प्यारे जु का मधुर मधुर नाम सुनाय दूँ री। मेरी फूलनि बड़ौ कोमल होय री, याको जेइ फूल सँग राख ही सहेजो जाय री। इतो कोमलता कहते न बनै, छूते न बनै, निहारते न बनै री।
ऐसो ही चाहूँ री जेई फूल फूलनि दोऊ और और फूलें री। दोऊ की फूलन , दोऊ की श्रृंगार, दोऊ की सुगन्ध, दोऊ के प्रेम स्पंदन , हाय री इतो मधुर जेई दोऊ फूल , सामर्थ्य न होवै वाणी से कछु कह दूँ री। जेई मोय लोभी करें री जेई को निहारन को, जेई को पुकारन को। साँची कहूँ मोपै कोऊ बल ही नाय री।जेई फूल फूलनि की कोमलता ,याकी सुगन्ध ही मोय बाहर न निकलने दे री। जेइ को निहारती रहूँ। जेई को निहारते पुकारते ही जीवन रहै री, अबहुँ दृष्टि अपनी मलिनता पर पड़ जावै री , तो हृदय ही फट जावै री, लागै कोऊ नेत्रों से निहारूँ री। जिव्हा सौं पुकार न सकूँ री, बस नेत्र ही डबडबाये जावैं री। जेई अश्रु भी तो कोऊ मोती नाय री जो याकी माला पिरोये दूँ, जेई खारो जल , हाय दूर ही राखूं न जेई फूल फूलनि ते। अपनी ओर देख लजाय जाऊँ री। न बनै री सामर्थ्य याको छुवन को, निहारन को, कछु कहन को।
अपनी ओर दृष्टि भी क्यों जावै री। जेई फूल फूलनि ही जीवन होय जावै री ,और कोऊ सम्बन्ध ही नाय होय किसी से। जेइ फूल फूलनि कछु कोमलता देय देवे री, जेइ को छू सकूँ , जेइ को निहार सकूँ , जेई फूल फूलनि को श्रृंगार कर सकूँ री।जेई को चिंतन करती रहूँ, फूल फूलनि सँग जीती रहूँ री। जेई की मधुर मधुर बगिया में रह जाऊँ री। फूल होय की तो सामर्थ्य न होय री न ऐसो भाव न सुगन्ध री। कोऊ लता कोऊ पुष्प ही होय जाऊँ री,जेई फूल फूलनि के सँग महक रहे फूलन को कछु सँग ही बनै रह्वै।चल री सखी , खोय गयी न तू भी याकी निहारन में। कछु न कहूँ री मोपै कछु कहने को होवै ही न री जेई फूल फूलनि के बिना। चल री सखी निहारती रह जेई *फूल फूलनि* को।मैं भी पुकारती रहूँ री...
राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में
राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में......
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