हरिहौ ओर न दीजौ
हरिहौं और न दीजौ स्वासा
मूढ़ अधम पतित बाँवरी न बूझे प्रेम की भासा
स्वासा स्वास गमाई बाँवरी न हरि भक्ति कीन्हीं
काहे बोझा देह कौ ढोवै काहे बिरथा स्वासा लीन्हीं
जेई स्वासा हरिनाम अरु सुमिरण तेई स्वास अनमोल
हरिप्रेम रँग हिय रँगावै बाँवरी तबहुँ मानुस देह कौ मोल
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