फूलों की बात हुई फूलों से
फूलों की बात हुई फूलों से
रखना फासला ज़रा शूलों से
फूल की कही फूल ही समझे
फूल ही सुने फूल ही कहते
फूल समझने को फूल होना ज़रूरी
बात बनती नहीं कोई उसूलों से
फूलों की बात.......
फूलों ने कही फूलों ने जानी
फूलों के दिल की फूलों ने मानी
फूलों के सँग फूल खिलते हैं
कांटे सजते है कहाँ झूलों में
फूलों की बात .......
क्या समझे दिल ये बात फूलों की
कैसे दिन किसी रात फूलों की
फूल महसूस न किया फूल होकर
हैं परेशां हम मेरी भूलों से
फूलों की बात हुई फूलों से
रखना फासला ज़रा शूलों से
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