श्रीवृन्दावन सुख की राजधानी
श्रीवृन्दावन होय सुख की रजधानी
पात पात सुख निधि युगल कौ करै प्रेम कौ गानी
करै प्रेम कौ गानी द्रुम वल्लरी सिंगार युगल कौ प्यारा
क्षण क्षण मधुरता गाढ़ होय क्षण क्षण नवल पसारा
सुख सिंगार करें परस्पर अलियन यहि सुख कौ चाहैं
सदा रहै मङ्गलमय विहरण नित्य नव केलि सजावैं
Comments
Post a Comment