प्राण भयें
प्राण भयें बिहारी बिहारिनि केलि करत दिन रैन
कबहुँ उत्कण्ठा जगै हिय सुनूँ युगल रसीले बैन
नयनन भरी रहै युगल जोरि क्रीडत न क्षणहुँ अघावै
रास विलास नित्य केलि को मधुर गान बाँवरी गावै
कबहुँ हिय निकुञ्ज भ्यै रहें बिलसत श्यामाश्याम
वृन्दावन हिय आय बसों बाँवरी यहीं साँचो विश्राम
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