हरिहौं बिरथा रसना

हरिहौं बिरथा रसना रखाई
जेई रसना हरिनाम न गावै षड रस रहै लुभाई
षड रस रहै लुभाई क्षण क्षण बिरथा स्वासा कीन्हीं
बाँवरी तू जन्मन की खोटी कबहुँ हरिनाम न लीन्हीं
हरिनाम बिना मूढ़े कैसो हरिप्रेम हिय उमगाय
बाँवरी देरन ते भव निद्रा सोई आपहुँ लयो जगाय

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