श्रीवृन्दावन
*---------श्रीवृन्दावन--------*
श्रीप्रियाप्रियतम संयुक्त निहारण
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
धरा धरे रसप्रेम को धारण
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
अपार प्रेम भाव रूपी वन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
नवल सौंदर्य नित भरे नयन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
मञ्जरी हिय अनुराग का फूलन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
सेवावृत्ति रूप दिव्य झूलन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
सम्पूर्ण युगल प्रेम आस्वादन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
भाव पुष्प की गुंथित गूँजन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
भाव मालिका की नित्य गूँथन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
आस्वादक को नित्य आस्वादन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
पूर्ण कृपासुधा अरविंद घन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
प्रेम ललित लीला को वर्णन
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
महिमा गाय नित्य सहचरीगण
जय वृन्दावन श्रीवृन्दावन
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