हरिहौं कबहुँ विकल
हरिहौं कबहुँ विकल होय पुकारूँ
नाम टेर बनै निशिबासर कबहुँ नयनन नीर झराऊं
कबहुँ नयनन नीर झरै कबहुँ पाथर हिय सरसावै
जिव्हा विरथा राखी मुख माँहिं कबहुँ हरिगुण गावै
हा हा नाथा माया घेरी बाँवरी आपहुँ आय निकार देयो
सेवा की चटपटी कबहुँ लागै साँची हिय पुकार देयो
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