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*राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में*
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सखी री!निहारी न तू जेई फूल फूलनि को। जेई पुनः पुनः खींच लेवें री, कछु क्षण बाहर होय जाऊँ री याकी दृष्टि ते, प्राण छटपटावैं री। काहे छोड़ आई री फूल फूलनि कौ सँग , वाके प्यारे प्यारे, कोमल मधुर फूलन को सँग। पुनः लोभ होय जावै री एक बार निहार लूं अपने प्राण प्रिय युगल किशोर जेई फूल फूलनि को। देखूँ री जेई फूल फूलनि सौं कैसे उलझो जाय री। जेई ते परस्पर निहारन न बनै री।कबहुँ फूलनि अपने अरुणिम नेत्र फूल सौं अपना रस छलका कर निहारें री अपने फूल प्रियतम को, जेई फूल में सुगन्धि की लहर दौड़ जावै री। नेत्र सौं ही उलझ जावै री जैसो नेत्र में ही भर लेवे री। जेई फूल जितनो सुगन्ध चाखै री, जीतो मधुरता पीवै और और सरसावै री।
जेई फूलनि की मधुरता ऐसो मधुर मधुर होय री, जेई फूल भूल जावै री जेई फूलनि कौ ही फूल है, जेई फूलनि कौ ही श्रृंगार है री। जेई फूल ऐसो बौराय गयो री संभाले ते नाय बनै री। जेई फूलनि पर ऐसो मंडरावै री, भृमर होय जेई फूलनि की पूर्ण परिक्रमा देय री। जेई फूलनि की सुगन्ध की मादकता एको क्षण नाय छूटे री जेई फूल ते।हाय सखी!निहार री जेई को मधुर मधुर खेल री। मेरौ हिय जेई फूल बंगलै में अड़े जावै री। जेई फूल फूलनि की मधुरता छोड़ते न बनै री। पुनः पुनः हिय लोभी होय जावै री, जेई फूल फूलनि को सँग सँग निहारन कौ।
सगरे काज छुड़वाय दिये री मोरे, जेई फूल फूलनि के फूल बंगले को सन्मुख बिठाय दियो री तूने। पुनि पुनि निहारूँ , भरी भरी जाऊँ री, फूली फूली जाऊँ री, जेई में डूब जाऊँ री। जेई फूल बंगले की मधुर मधुर बात कर री, अबहुँ और कछु मोय सुहाय ही न री। लागै जेई वाणी से भर भर पिये जाऊँ री जेई फूल फूलनि को रस। पर सखि री मोरे हिय में समाय न री ऐसो मधुर मधुर रस। न कहते बनै री , न छोड़ते बनै री। आहा!!जेइ मेरौ मधुर मधुर फूल फूलनि री। मोय लागै जेइ फूल फूलनि को गान सुनि सुनि जेई और और फूल रहे री। चल और सुना री मैं भी क्षण क्षण व्याकुल होय जाऊँ री जेई फूल बंगले से दूर होय।
जेई फूल फूलनि को रस गान हिय में फूल रहे जेई फूल फूलनि का मधुर मधुर श्रृंगार होय री। कैसो मधुर मधुर श्रृंगार को गान होवै री जेई फूलन की कुञ्ज में। फूल ही फूल झरै जावैं री। फूल फूलनि फूलन को ही वस्त्र आभूषण धारण कियो री। फूलन की सारी चोली फूलन कौ लहंगा। आहा !!फूलन को ही आभूषण होय री। साँची कहे है री, एक एक युग लगे री याको निहारन को।नेत्र कोऊ एक ही आभूषण को न निहार पावै री। जेई को पूरौ सिंगार कहते न बनत री। जितना कहवे री उतो ही निहार न पाऊँ री। लागै पुनि पुनि न्यो न्यो होई जावै री।
देख री सखी जेई फूलन की पायल लाई री तू। कौन भाँति फूल पिरोये दिए री। प्यारी जु हमारी कोमल कोमल फूलनि के चरण श्रृंगार में प्रियतम हृदय ही फूल होय जावै री।जेई फूल होय या प्यारे ही फूल होय होय फूलनि को सिंगार कर रहे री।जेई फूलन को मधुर मधुर गान मेरे कर्णपुट से उतर उतर हिय में बैठे जेई फूल फूलनि कौ ओर ओर बौराय री। हाय री!जेई फूलन कौ गान कैसो मधुर होय री , न निहारते बने, न छोड़ते बने, न सुनते बने, न कहते बने री
राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में
राजत प्रियतम प्यारी अहो फूल बंगले में......
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