आपहुँ मोय बचावो
हरिहौं आपहुँ मोय बचावो।
काटौ मेरौ माया को फंदों चरणन चेरी बनावो।।
काहे माया मोय नचावै आपहुँ नाथा हाथ धरावो।
डूब न जावै डगमग नैया आपहुँ मोय पार लगावो।।
और ठौर न दीखै नाथा , बाँवरी को तुमहीं शरणावो।
चित्त घबरात नीर झरै नैनन बाँवरी को धीर धरावो।।
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