जलता सा दिल
क्या देखोंगे साहिब जलता हुआ सा दिल है हमारा
किस तरह सुकून होगा तुमको इस बात से डरते हैं
सिसकियां और आहें ही दौलत हैं अब हमारी
देखो इस गली में आकर दौलत न लूट लेना
नहीं चाहते हम कोई सुकून साहिब तेरे बिना
कोई सांस हो तेरे बिन तो सांस भी न आए
मुझको महरूम करदो तुम मेरे वजूद से
मेरा मुझमे लौटना ही तो दर्द है मेरा
क्यों चलती हैं यह साँसे पूछो कोई वजह
बस नाम तेरा ही लबों पर आते ही रुकता है
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