किशोरी तुम दया की खान
हम तो पतित अति अधम हैं, किशोरी तुम दया की खान
द्वार पड़े को हो अपनाती राधे, अपनो जन ही जान
कितनी दयालु कितनी कृपालु राधे पतित पावन तेरो नाम
इतनी कृपा कीजौ मेरी श्यामा, तेरे चरणों मे हो विश्राम
कौन से मुख से तेरी महिमा गाऊँ कैसे करूँ बयान
हम तो पतित अति......
नाम तिहारा रटते रटते सुबह से बीते यह जीवन मेरा
तेरे नाम से साँझ हो मेरी तेरे नाम से हो सवेरा
तेरे चरणों की सेवा पाऊँ लाडली दीजौ सेवा को दान
हम तो पतित अति.......
बाँवरी का तुम धन हो श्यामा भिक्षा दीजौ हूँ निर्धन
राधा आन मेरे हिय बिराजो जिव्हा सौं करूँ नाम रटन
बाँवरी करे पुकार कर जोरि अपनाओ मोहै निर्बल जान
हम तो पतित अति.......
अधमों की जो तुम न सुनोगी कौन द्वारे फिर जाएँगे
चरण तिहारे की आस लगी है नाम तेरा ही बस गाएँगे
हा हा करत तेरे द्वार पड़े हैं देख लो निर्धन जान
हम तो पतित अति अधम हैं, किशोरी तुम दया की खान
द्वार पड़े को हो अपनाती राधे, अपनो जन ही जान
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