प्रतीक्षा

प्रतीक्षा

हाँ सच में
प्रतीक्षा
ही तो हूँ मैं
प्रतीक्षा ही तो अस्तित्व हो चुका मेरा
एक मूक सी वेदना
हृदय में भर
नेत्रों से बहती हुई अश्रुधारा
हाँ प्रियतम
और है भी क्या मेरा अस्तित्व
हृदय में उठती एक पुकार
जो तुम्हारे नाम से ही ध्वनित है
यूँ ही विरहित सी बैठी
सुनती रहती हूँ तुम्हारा नाम
भीतर ही भीतर
पुकारती तुमको
निहारती
पथ तुम्हारा
इस प्रतीक्षा की प्रतीक्षा
कभी तो पूर्ण होगी ही
आओगे ही न तुम
इस प्रेम पथ पर
नेत्र भर बैठी
तुम्हारी प्रतीक्षा

हां

तुम्हारी
तुम्हारी प्रतीक्षा

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