हरिहौं हम झूठो भारी

हरिहौं हम झूठो भारी
कौन विधि आय मिलो नाथा झूठ पुकार पुकारी
जो होतौ प्रेम कछु साँचो हिय पीरा न जाती
बाँवरी फिरै जग वीथिन डोलत नेकहुँ नाय लजाती
भजन की चिंता न व्यापी कबहुँ भजन को नाँहिं रोवै
मूढ़ अधम पातकी पामर बाँवरी बिरथा स्वासा खोवै

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