हरिहौं हम तो सदा मलीना

हरिहौं हमतो सदा मलीन
झूठो साँचो ढोंग रचावे बने रहत हैं दीन
कौन गिने सब कपट हिय के जग ते फिरे छिपाय
भेस कोऊ भक्तन का धरिहौ हिय ते भक्ति न पाय
बाँवरी तू जन्मन की ढोंगी कबहुँ मति परि जाय
छांड जगत जंजाल बाँवरी लीजो श्यामाश्याम मनाय

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